जेलों एवं उपजेलों के कैदियों को कंबल, बीमारी में पौष्टिक खाने और स्वास्थ्य संविदा कर्मी से पुलिस द्वारा मारपीट सहित तेरह मामलो में आयोग ने संज्ञान लिया

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जेलों एवं उपजेलों के कैदियों को कंबल, बीमारी में पौष्टिक खाने और स्वास्थ्य संविदा कर्मी से पुलिस द्वारा मारपीट सहित तेरह मामलो में आयोग ने संज्ञान लिया
MPHRC Bhopal Human Right Commission

जेलों एवं उपजेलों के कैदियों को कंबल, बीमारी में पौष्टिक खाने और स्वास्थ्य संविदा कर्मी से पुलिस द्वारा मारपीट सहित तेरह मामलो में आयोग ने संज्ञान लिया

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने तेरह मामलों में संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर में कड़कड़ाती ठंड से बचाव को लेकर नगर निगम द्वारा अबतक मुसाफिरों के लिये बचाव की व्यवस्था प्रारंभ नहीं करने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम की दीनदयाल परियोजना में 17 रैनबसेरों, उनके ऊपर 07 प्रबंधक इमरजेंसी में व्यवस्था करने के लिये नियुक्त किये हैं। इसके बाद भी रात में लोग रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड़ अस्पतालों सहित सार्वजनिक स्थानों पर खुले में रात गुजार रहे हैं। ठंड के कारण किसी की मौत न हा,े इसके लिये मुसाफिरों को ऐसे स्थानों से रैन बसेरा तक उठाकर लाने के लिये दो वाहन भी रखे गये हैंै, लेकिन उन्हें अभी तक शुरू नहीं किया गया है। एक ही रैन बसेरा में फिर मल्टी पलंग व्यवस्था शुरू हुई है। उसमें भी 35 फीसदी पलंगों में सीढ़िया भी नहीं लग सकी हैं, जबकि सभी रैन बसेरा में मल्टी पलंग लगाने की योजना हैै। जिस तरह से पिछले दो-तीन दिनों से शहर में ठंड पड रही है, रात में लोगों की हालत खराब होने लगी है। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं नगर निगम कमिश्नर, भोपाल से उचित कार्यवाही सुनिश्चित कराकर तीन दिन में प्रतिवेदन तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने प्रदेश में कैदियों के साथ भेदभाव होने और कड़ाके की ठंड में सिर्फ सेंट्रल जेलों के कैदियों को ही कैंटीन की सुविधा मुहैया होने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक जिला जेलों एवं उपजेलों के कैदियों को कंबल, बीमारी में पौष्टिक खाने से लेकर तेल-साबुन के लिये तरसना पड़ रहा है। वह भी तब, जब जेल मैन्युअल में ही विचाराधीन कैदियों के लिये सुविधायें दी गई हैं। दरअसल भोपाल सेंट्रल जेल में सिमी आतंकियों की फरारी के बाद दिसम्बर 2016 में प्रदेशभर की जेलों के बाहर से कैदियों को मिलने वाले सामान सहित अन्य सभी सुविधाओं पर कड़ाई से रोक लगा दी गई थी। हालांकि बाद में अक्टूबर 2021 से प्रायोगिक तौर पर सिर्फ सेंट्रल जेलों में कैंटीन की सुविधा शुरू की गई है, जो कि जारी है। दूसरी ओर जिला एवं उप जेलों में कैंटीन की सुविधा शुरू नहीं हो सकी है। वह भी तब, जब 50 हजार कैदियों में से करीब 70 प्रतिशत कैदी इन्हीं जेलों में है। मामले में आयोग ने पूछा है कि सेंट्रल जेल की घटना के कारण कैंटीन सुविधा दी गई थी। अब केवल सेंट्रल जेलों में ही यह सुविधा प्रारंभ की गई है, जबकि जिला जेलों एवं अन्य छोटे वर्ग की जेलों में इसे प्रारंभ करने में कोई बाधा पहले भी नहीं थी और अब भी नहीं है। तो फिर ऐसा क्यूं हो रहा है ? आयोग ने महानिदेशक, जेल मुख्यालय से उपरोक्त सुविधा का लाभ सभी श्रेणी की जेलों दिये जाने के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल के हमीदिया अस्पताल में सात दिनों से एंटी रैबीज इंजेक्शन न होने से मरीजों को 3000 से 4500 रूपये में मिलने वाला इंजेक्शन बाहर से खरीदने के  लिये मजबूर होने के एक मामले में संज्ञान लिया है्रे गंभीर स्थिति के मरीजों को यह इंजेक्शन लगाया जाता है। इसे सीधे घाव पर लगाया जाता है ताकि दवा का तुरंत असर हो सके। हमीदिया अस्पताल में कुत्ता-बिल्ली सहित अन्य जानवरों के काटने के बाद एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने आने वालों की संख्या 20 से अधिक होती है। इनमें से दो-तीन मरीज अत्यंत गंभीर होते हैं। ऐसे में इनको इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन लगवाने की आवश्यकता होती है। मामले में आयोग ने आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं, मप्र शासन एवं अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल, भोपाल से 15 दिन में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल पुलिस द्वारा की गई मारपीट के कारण एक संविदा स्वास्थ्यकर्मी दीपक सक्सेना के लकवाग्रस्त हो जाने और उसके सिर में भी गंभीर चोट आने की घटना पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल चल रही है। दीपक सक्सेना उन आठ स्वास्थ्यकर्मियों में शामिल थे, जिन्हें पुलिस ने बीते शनिवार को जेपी अस्पताल से बलपूर्वक गिरफ्तार किया था। हालांकि चैतरफा विरोध के बाद पुलिस ने बीते रविवार की शाम ही उन्हें छोड़ दिया था। सक्सेना के साथियों ने बताया कि पुलिस कस्टडी में उनकी बेरहमी से पिटाई की गयी। मामले में आयोग ने पीड़ित को आई चोटों एवं इलाज के सबंध में आयुक्त, स्वास्थ्य सेवायें मप्र शासन एवं पुलिस कमिश्नर, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल के जेपी अस्पताल में एक्सपायर्ड दवाओं के छह महीने बाद भी दवा स्टेार में होने के मामले में संज्ञान लिया है। यह स्थिति तब है जब एक ओर मरीजों को पर्याप्त दवायें नहीं मिल पा रहीं हैं, वहीं अस्प्ताल के दवा स्टोर मंे लाखों रूपयों की दवायें रखी-रखी एक्सपायर हो रहीं हैं। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन जेपी अस्प्ताल, भोपाल से प्रकरण की जांच कराकर अनुपयोगी/एक्सपायर दवाओं के नियमानुसार व्ययन की कार्यवाही कराकर 15 दिन में जवाब मांगा  है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर के रायसेन रोड़ स्थित लाला लाजपतराय कालोनी में एक फाउण्टेन के ढेड़ साल से बंद होने के कारण इसमें जमा पानी के कारण दुर्गंध उठने और मच्छरों की तादाद बढ़ने के कारण निवासियों के डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का शिकार होने के मामले में संज्ञान लिया है। मामले में आयोग ने नगर निगम कमिश्नर, भोपाल एवं जिला मलेरिया अधिकारी, भोपाल 15 दिन में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल शहर के अयोध्यानगर थानाक्षेत्र स्थित नरेला संकरी में छह साल की एक मासूम बच्ची की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है। इस बच्ची का इलाज एक छोलाछाप डाक्टर के पास चल रहा था। वह कह रहा था कि हड्डी का बुखार है, कुछ दिन में ठीक हो जायेगा। इधर बच्ची को टाइफायड होने से उसकी तबीयत बिगड़ती गई। परिजन बच्ची को अस्पताल लेकर पहुंचे तो पता चला कि उसका बे्रन डेड हो चुका था। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, भोपाल से कथित छोलाछाप डाॅक्टर के संबंध में प्रकरण की जांच कराकर उस पर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जिला अस्पताल सीहोर में एक लेडी डाॅक्टर की लापरवाही से एक नव प्रसूता की मौत हो जाने से उसके परिजनों द्वारा भारी हंगामा किये जाने की घटना पर संज्ञान लिया है। नव प्रसूता का शव पीएम कक्ष में रखा गया था, लेकिन परिजन लेडी डाक्टर पर कार्यवाही होने के बाद ही पीएम कराने की जिद पर अड़े थे, जो एसडीएम के समझाने पर ही माने। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सीहोर से तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने बालाघाट जिले के परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत बड़गांव के अंतर्गत ग्राम टिकरिया के आदिवासी ग्रामीणजन आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने संबंधी एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में न स्कूल भवन है, न आंगनबाड़ी भवन है, न हीं स्वास्थ्य सेवाओं के कोई इंतजाम हैं। पंचायत जाना हो तो करीब 30 किमी दूर ग्राम पंचायत बड़गांव जाना पड़ता है। यहां कोई विकास कार्य नहीं हुये हैं और आज भी यहां के लोग आदिमानवों सा जीवन-यापन कर रहे हैं। मामले में आयोग ने कलेक्टर, बालाघाट से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने उज्जैन जिले में आठवीं में पढ़ रहे एक छात्र द्वारा कुछ सवाल पूछने पर शिक्षक ने उसे छड़ी से बुरी तरह पीट टेने की घटना पर संज्ञान लिया है। घटना उज्जैन जिले के महिंदपुर के खेड़ा खजूरिया संकुल का है। यहां सरकारी माध्यमिक स्कूल धनोड़िया में शिक्षक ने बीते शनिवार को इस तरह की घटना को अंजाम दिया। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षाधिकारी, उज्जैन से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीधी जिले में स्कूल का टाॅयलेट गंदा होने के कारण खुले में शौच करने गये छात्र की नदी में डूबकर मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया हैं। घटना शाप्राशा, शिवपुरा-1, उत्तरटोला का है। यहां स्कूल का शौचालय गंदा था। छात्र अंशु पिता गेंदलाल शौच करने नदी की ओर चला गया। यहां फिसलकर वह नदी में जा गिरा। उसकी लाश नदी से बरामद हुयी। मामले में आयोग ने कलेक्टर एवं जिला शिक्षाधिकारी, सीधी से प्रकरण की जांच कराकर एक माह में जवाब-तलब किया है। आयोग ने पूछा है कि क्या मृतक के परिजन को नियमानुसार मुआवजा राशि दे दी गई है ? इस संबंध में भी प्रतिवेदन में स्थिति स्पष्ट की जाये।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने धार जिले में एक निजी स्कूल द्वारा कोरोना काल की फीस मांगने पर परिजनों द्वारा असमर्थ होने पर स्कूल ने उनके बेटे को बाहर कर देने के कारण यहां-वहां सुनवाई के लिये आवेदन करने के बावजूद कोई कार्यवाही न होने पर थक-हारकर छात्र के माता-पिता ने जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश करने के मामले में संज्ञान लिया है। इस मामले में कलेक्टर ने डीईओ को मामला हल करने को कहा था, परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई। मामले में आयोग ने कलेक्टर, धार से तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने रीवा जिले के चाकघाट में नियमित कक्षाएं न चलने के कारण भविष्य अंधकारमय होने की एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मामले में आयोग ने जिला शिक्षाधिकारी, रीवा से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के बारे में एक माह में जवाब-तलब किया है।